तेरा ये कैसा सा प्यार है,
कभी तुझ मे हार है,
कभी तुझ मे सब निसार है,
कभी चाँद कभी सूरज तुझ मे ,
धुँआ धुँआ तुझ मे कभी तुझ मे राख है,
कभी तुझ में साँस है,
कभी तुझ मे आंच है
कभी मरहम सा तू,
कभी घाव भी बेमिसाल है,
कभी सारी जन्नतो सा तू,
कभी तुझ मे सुना सा जहां है,
कभी जो पाउ जाउ तुझ को,
लगे सब कुछ मामूली सा बवाल है,
जो ना पाउ तुझ को,
सब हाल मे बेहाल है!!
कभी तुझ मे हार है,
कभी तुझ मे सब निसार है,
कभी चाँद कभी सूरज तुझ मे ,
धुँआ धुँआ तुझ मे कभी तुझ मे राख है,
कभी तुझ में साँस है,
कभी तुझ मे आंच है
कभी मरहम सा तू,
कभी घाव भी बेमिसाल है,
कभी सारी जन्नतो सा तू,
कभी तुझ मे सुना सा जहां है,
कभी जो पाउ जाउ तुझ को,
लगे सब कुछ मामूली सा बवाल है,
जो ना पाउ तुझ को,
सब हाल मे बेहाल है!!
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