लड़का, रुद्र क्लर्क था और लड़की, मीरा की नौकरी नहीं लग रही थी। चूंकि 10 साल से एक दूसरे को जानते थे तो लड़के ने जोश में आ कर रिश्ता भेज दिया।
घर वालों ने लड़की," गोल्ड मेडलिस्ट है, ऐसे वैसे शादी नहीं करेंगे इसकी, क्या हो गया अभी नौकरी नहीं, कुछ बनेगी तो शादी कर देंगे; कह कर बात टाल दी।
एक साल बाद लड़की ऑफिसर लग गई। अब रुद्र क्लर्क था और मीरा अफ़सर, बात बचपन की दोस्ती की थी। अक्सर बचपन के दोस्तों से प्यार हो जाता है पर वो प्यार गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जैसा प्यार नहीं होता। ये जब तक अलग नहीं होते तब तक बचपन के दोस्तों को पता नहीं होता कि वो एक दूसरे से प्यार करते हैं। संक्षिप्त में बोला जाये तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जैसा रिश्ता ही नहीं था या बोलें तो रिश्ता इतना पाक था के नाम देना तो रिश्ते की तौहीन सी लगती थी, दोनों के बीच understanding इतनी थी कि एक दूसरे की चुप्पी को झट से समझ लेते थे- दोनों।
रुद्र मज़ाक मे मीरा को चिड़ाने के लिए अक्सर बोल देता था – “तेरे से शादी करूंगा बावली...” और अक्सर खुद की ही बात पर हस देता था|
मीरा हमेशा की तरह “ये फालतू बकवास ना किया कर तू । तू ही ना रेह गया है शादी करने को.... आया बड़ा...। honour killing हो जाएगी तेरी .... हम हरयाणा के सभ्य लोग हैं ” बोल कर अक्सर बात को घूमा देती थी।
और रुद्र अक्सर पलट कर बोल देता था तू वैसे भी lesbian है... । मेरे किसी काम की नहीं... । क्या करना है मैंने तेरे से शादी कर के .... । वैसे भी तेरा divorce हो जाना है शादी हुई तो तेरी... ।
मीरा पलटवार करती कोई बात नहीं तू है ना ... divorce ले कर तेरे बच्चों को खिलाने आ जाऊँगी.... ।
इसी तू तू – मैं मैं में कब एक दूसरे से लड़ने की आदत पड़ गई पता ही नहीं चला। मीरा ने बहुत बार बताया था रुद्र को के शादी से क्यूँ नफरत करती है वो। Patriarchal समाज में औरतों की हालत देख-देख कर लड़को से जलन तो होती ही थी और समय के साथ ये जलन अब नफरत में बदल चुकी थी । हर छुट्टी के दिन घर में लोगों का देखने दिखाने का रिवाज बिलकुल पसंद नहीं था उसे और arranged वाली शादी से तो कुत्ते-बिल्ली सा बैर था उसको। जहाँ लड़कियाँ अमीर लड़के से पैसे के लिए शादी करती हैं और लड़का खूब सारा दहेज ले कर खानदानी होने का ढोंग करता है और खानदानी होने का चौला उतारने ही नहीं देता कभी।
इतनी सारी मुश्किले थी मीरा की के अब रुद्र को लाग्ने लगा था के उसकी प्यारी सी दोस्त का क्या होगा अगर इसके साथ ऐसा कुछ भी हुआ तो। रुद्र उसके इस डर से डरता था अब। खूब सोचने के बाद रुद्र ने सोचा क्यूँ ना वो खुद ही शादी कर ले मीरा से ...? खयाल के साथ साथ संजोग ऐसा हुआ के बात घर तक जा पहुँची। और बात घर तक पहुँचने पर ही रुक जाती तो बात ही क्या थी घरवालो ने सवाल पर सवाल दागने शुरू कर दिये मानों सरहद पर भयंकर गोला-बारी हो रही हो- कौन है लड़का...?
FB (फेस बुक) पे दोस्त होने की बात तो ऐसे लगी जैसे कि लड़की भाग कर शादी कर आई हो..., ऐसे माहौल में जहाँ लड़की का किसी अंजान लड़के से बात करना भी चर्चा का विषय था वहाँ लड़के लड़की कि दोस्ती तो घर की मान मर्यादा का मुद्दा बन जाती है। चूँकि लड़का सिर्फ एक क्लर्क की हसीयत से किसी सरकारी महकमें में काम करता था और घरवालों की नाक कुछ ज्यादा ऊंची थी तो ज़ाहिर सी बात है लड़की को खरी खोटी सुनाई गई, फोन छीन लिया गया नौकरी तक छुड़वाने की बात आ गई और मीरा को मानसिक परिताड्ना को झेलना पड़ा।
अब बात खानदानी इज्जत की थी शादी करनी थी चाहे कोई भी मिले बच्चा, बूढ़ा या जवान बस घरवालों की मर्ज़ी का हो कुछ करता हो या खाली हो ज़िद्द थी के रुद्र को छोड़ कर किसी से भी कर देंगे। इसी के चलते एक हफ्ते के अंदर-अंदर मीरा के हाथ पीले कर दिये गए। मीरा ने भी अपनी और रुद्र की सारी यादों की पौटली अपने दिल में ही दफन कर ली। और अब जो डर मीरा के मन में था रह-रह कर बाहर आने लगा। बिना मीरा की मर्ज़ी जाने रोज़ संबंध बनाए जाते और कोई बात किए बिना सो जाता था मीरा का कानूनी हकदार और मीरा पूरी रात बात उस यादों की पौटली को टटोलती रहती और थोड़ी बहुत जितनी भी नींद आती सो जाती। कुछ ही दिनों में मीरा का चेहरा पीला पड़ गया और आँखों में दर्द ऐसे दिखता था जैसे marital रेप हुआ हो। अब मीरा को खुद की शक्ल भी डराने लगी थी चुप-छाप सी सारा दिन घर के काम काज में लगी रहती और रात को भेड़िये का शिकार बनती। अब तो पौटली में भी टटोलने को कुछ न बचा था रुद्र जो उसका एक अकेला दोस्त था उससे बातें तो दूर की बात है यादें भी ऐसे धुंदली पड़ गईं जैसे सालों बीत गए हों एक दूसरे को देखे, अभी शादी को केवल एक month ही हुआ था।
एक दिन सुबह शायद वो aakhiri din या रात बोलें तो ज्यादा सही होगा मीरा ने नींद की गोलियां खा कर खुद को आज़ाद कर लिया। किसी ने पुलिस को फोन कर लिया तो पोस्ट्मॉर्टेम किया गया और पाया गया – शरीर के अंतरंग हिस्सों पर बलात्कार का संकेत दे रहे हैं, लग-भाग 72 घंटे से मरने वाले ने कुछ खाया नहीं है, रक्त की बहुत ज्यादा कमी थी, पीठ पर पड़े निशान शारीरिक हिंसा दर्शाते हैं-शायद डंडे से पीटा गया था अंत में डॉक्टर साहब ने एक बात कह कर शीशे से धूल ही हटा दी-मृतक के साथ मार-पीट एवं यौन शोषण हुआ है... अब हुआ है तो हुआ है कहने के कैसी शर्म के बेचारी मीरा का वैवाहिक बलात्कार हुआ है।
शायद यही हमारे समाज का दुर्भाग्य है के शादी से पहले अगर ऐसा कोई करे तो उसे तो हम बलात्कार का नाम दे देते हैं पर शादी के बाद उसे हम उसी कांड को so called पति-पत्नी के सामाजिक ठेकेदारों से मान्यता प्राप्त कानूनी संबंध समझते हैं। और मैं अब मीरा के पार्थिव शरीर को देख कर सोचती रही के काश रुद्र किसी बड़ी पोस्ट पर होता तो प्यारी सी लड़की मीरा आज ज़िंदा होती। और मीरा के घरवालों को भी उस पर गर्व होता के कितना काबिल लड़का ढूंढा उनकी मीरा ने।
घर वालों ने लड़की," गोल्ड मेडलिस्ट है, ऐसे वैसे शादी नहीं करेंगे इसकी, क्या हो गया अभी नौकरी नहीं, कुछ बनेगी तो शादी कर देंगे; कह कर बात टाल दी।
एक साल बाद लड़की ऑफिसर लग गई। अब रुद्र क्लर्क था और मीरा अफ़सर, बात बचपन की दोस्ती की थी। अक्सर बचपन के दोस्तों से प्यार हो जाता है पर वो प्यार गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जैसा प्यार नहीं होता। ये जब तक अलग नहीं होते तब तक बचपन के दोस्तों को पता नहीं होता कि वो एक दूसरे से प्यार करते हैं। संक्षिप्त में बोला जाये तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जैसा रिश्ता ही नहीं था या बोलें तो रिश्ता इतना पाक था के नाम देना तो रिश्ते की तौहीन सी लगती थी, दोनों के बीच understanding इतनी थी कि एक दूसरे की चुप्पी को झट से समझ लेते थे- दोनों।
रुद्र मज़ाक मे मीरा को चिड़ाने के लिए अक्सर बोल देता था – “तेरे से शादी करूंगा बावली...” और अक्सर खुद की ही बात पर हस देता था|
मीरा हमेशा की तरह “ये फालतू बकवास ना किया कर तू । तू ही ना रेह गया है शादी करने को.... आया बड़ा...। honour killing हो जाएगी तेरी .... हम हरयाणा के सभ्य लोग हैं ” बोल कर अक्सर बात को घूमा देती थी।
और रुद्र अक्सर पलट कर बोल देता था तू वैसे भी lesbian है... । मेरे किसी काम की नहीं... । क्या करना है मैंने तेरे से शादी कर के .... । वैसे भी तेरा divorce हो जाना है शादी हुई तो तेरी... ।
मीरा पलटवार करती कोई बात नहीं तू है ना ... divorce ले कर तेरे बच्चों को खिलाने आ जाऊँगी.... ।
इसी तू तू – मैं मैं में कब एक दूसरे से लड़ने की आदत पड़ गई पता ही नहीं चला। मीरा ने बहुत बार बताया था रुद्र को के शादी से क्यूँ नफरत करती है वो। Patriarchal समाज में औरतों की हालत देख-देख कर लड़को से जलन तो होती ही थी और समय के साथ ये जलन अब नफरत में बदल चुकी थी । हर छुट्टी के दिन घर में लोगों का देखने दिखाने का रिवाज बिलकुल पसंद नहीं था उसे और arranged वाली शादी से तो कुत्ते-बिल्ली सा बैर था उसको। जहाँ लड़कियाँ अमीर लड़के से पैसे के लिए शादी करती हैं और लड़का खूब सारा दहेज ले कर खानदानी होने का ढोंग करता है और खानदानी होने का चौला उतारने ही नहीं देता कभी।
इतनी सारी मुश्किले थी मीरा की के अब रुद्र को लाग्ने लगा था के उसकी प्यारी सी दोस्त का क्या होगा अगर इसके साथ ऐसा कुछ भी हुआ तो। रुद्र उसके इस डर से डरता था अब। खूब सोचने के बाद रुद्र ने सोचा क्यूँ ना वो खुद ही शादी कर ले मीरा से ...? खयाल के साथ साथ संजोग ऐसा हुआ के बात घर तक जा पहुँची। और बात घर तक पहुँचने पर ही रुक जाती तो बात ही क्या थी घरवालो ने सवाल पर सवाल दागने शुरू कर दिये मानों सरहद पर भयंकर गोला-बारी हो रही हो- कौन है लड़का...?
FB (फेस बुक) पे दोस्त होने की बात तो ऐसे लगी जैसे कि लड़की भाग कर शादी कर आई हो..., ऐसे माहौल में जहाँ लड़की का किसी अंजान लड़के से बात करना भी चर्चा का विषय था वहाँ लड़के लड़की कि दोस्ती तो घर की मान मर्यादा का मुद्दा बन जाती है। चूँकि लड़का सिर्फ एक क्लर्क की हसीयत से किसी सरकारी महकमें में काम करता था और घरवालों की नाक कुछ ज्यादा ऊंची थी तो ज़ाहिर सी बात है लड़की को खरी खोटी सुनाई गई, फोन छीन लिया गया नौकरी तक छुड़वाने की बात आ गई और मीरा को मानसिक परिताड्ना को झेलना पड़ा।
अब बात खानदानी इज्जत की थी शादी करनी थी चाहे कोई भी मिले बच्चा, बूढ़ा या जवान बस घरवालों की मर्ज़ी का हो कुछ करता हो या खाली हो ज़िद्द थी के रुद्र को छोड़ कर किसी से भी कर देंगे। इसी के चलते एक हफ्ते के अंदर-अंदर मीरा के हाथ पीले कर दिये गए। मीरा ने भी अपनी और रुद्र की सारी यादों की पौटली अपने दिल में ही दफन कर ली। और अब जो डर मीरा के मन में था रह-रह कर बाहर आने लगा। बिना मीरा की मर्ज़ी जाने रोज़ संबंध बनाए जाते और कोई बात किए बिना सो जाता था मीरा का कानूनी हकदार और मीरा पूरी रात बात उस यादों की पौटली को टटोलती रहती और थोड़ी बहुत जितनी भी नींद आती सो जाती। कुछ ही दिनों में मीरा का चेहरा पीला पड़ गया और आँखों में दर्द ऐसे दिखता था जैसे marital रेप हुआ हो। अब मीरा को खुद की शक्ल भी डराने लगी थी चुप-छाप सी सारा दिन घर के काम काज में लगी रहती और रात को भेड़िये का शिकार बनती। अब तो पौटली में भी टटोलने को कुछ न बचा था रुद्र जो उसका एक अकेला दोस्त था उससे बातें तो दूर की बात है यादें भी ऐसे धुंदली पड़ गईं जैसे सालों बीत गए हों एक दूसरे को देखे, अभी शादी को केवल एक month ही हुआ था।
एक दिन सुबह शायद वो aakhiri din या रात बोलें तो ज्यादा सही होगा मीरा ने नींद की गोलियां खा कर खुद को आज़ाद कर लिया। किसी ने पुलिस को फोन कर लिया तो पोस्ट्मॉर्टेम किया गया और पाया गया – शरीर के अंतरंग हिस्सों पर बलात्कार का संकेत दे रहे हैं, लग-भाग 72 घंटे से मरने वाले ने कुछ खाया नहीं है, रक्त की बहुत ज्यादा कमी थी, पीठ पर पड़े निशान शारीरिक हिंसा दर्शाते हैं-शायद डंडे से पीटा गया था अंत में डॉक्टर साहब ने एक बात कह कर शीशे से धूल ही हटा दी-मृतक के साथ मार-पीट एवं यौन शोषण हुआ है... अब हुआ है तो हुआ है कहने के कैसी शर्म के बेचारी मीरा का वैवाहिक बलात्कार हुआ है।
शायद यही हमारे समाज का दुर्भाग्य है के शादी से पहले अगर ऐसा कोई करे तो उसे तो हम बलात्कार का नाम दे देते हैं पर शादी के बाद उसे हम उसी कांड को so called पति-पत्नी के सामाजिक ठेकेदारों से मान्यता प्राप्त कानूनी संबंध समझते हैं। और मैं अब मीरा के पार्थिव शरीर को देख कर सोचती रही के काश रुद्र किसी बड़ी पोस्ट पर होता तो प्यारी सी लड़की मीरा आज ज़िंदा होती। और मीरा के घरवालों को भी उस पर गर्व होता के कितना काबिल लड़का ढूंढा उनकी मीरा ने।