Thursday, 23 May 2019

खुद की कितनी तोहीन की है,


आंसुओ की बारिश में,
बरसो भीग के समझ आया,
खुद की कितनी तोहीन की है,
समझा के दीवारों को,
खुद की हैसियत कम की है!!

समंदर के दरिया से पानी उधर ले गया है,


था अजीब सा ख़्वाब जो नींदें उड़ा ले गया है,
समंदर के दरिया से पानी उधर ले गया है,
 हुआ है यु भी,
छोटी छोटी आरज़ू पे जान ले गया है!! .