Monday, 18 February 2019

हिस्सा -ए -सफ़र वजूद रहे,






खोया जो मकाम भी मिले,
हिस्सा -ए -सफ़र वजूद रहे,
खो जाए जब सब रास्ते,
मंजिल का पता मंज़िल ही रहे!! 

इंसान- इंसान को अंदर -अंदर खाने लगे है!!





चोट के निशान अब गहराने लगे है,
इंसान- इंसान को अंदर -अंदर खाने लगे है!!