Wednesday, 22 May 2019

आसमानो का ख्वाब फिर किसलिए,

जमीने जो सम्भाली ना गयी,
आसमानो का ख्वाब फिर किसलिए,

और रातें जो है अमावास सी,
चाँद की चांदनी फिर किसलिए,

दरवाजे के उस पार बेफ़िक्री बहुत है,
मेरी ये फ़िक्र फिर किसलिए,

गरूर इतना कि इंसान दीखते नहीं,
है ये झूठी इंसानियत फिर किसलिए!!

की है जो बग़ावते तेरे लिए ज़िंदगी,



ये अंदाजे गुफ्तगू क्या है,
की है जो बग़ावते तेरे लिए ज़िंदगी,
ये अंदाज़े सलीक़ा क्या है!!

है बीमारिया बहुत आजकल हम में,



है बीमारिया बहुत आजकल हम में,
जाने कोई मरीज है की वक़्त ये उल्फ़त है,

तू कोई हवा है कि कहर है,

हम तो यु ही पूछ बैठे है,
तू कोई हवा है कि कहर है,

तुझ में मेरा जैसा दिल है की नहीं है


ये चर्चा आजकल जोरों पर है,
तुझ में मेरा जैसा दिल है की नहीं है