Poems by Mamta Sharma
Sunday, 24 November 2019
बाँधी मन की मन से डोर है ( A poem on self love)
बाँधी मन की मन से डोर है,
जिस ओर ले चले ये राहों,
वही अब छोर है,
दिल में ज़ज़्बातो का कुछ शोर है,
अभी इस राह मे कुछ और मोड़ है!!
है गुल पे लिपटी जो ये तितलियां ( Poem on love of butterflies)
तुम क्या जानो इन की हस्तिया,
है गुल पे लिपटी जो ये तितलियां,
इन की अपनी है बस्तिया,
ये जानती है फूलो मे खुशबू है क्या!!
Only you know what you feel inside # Random Thoughts#
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