Sunday, 3 February 2019

अपने घर में ही भटके बैठे है,



अपने घर में ही भटके बैठे है,
जाने कहां है अब ठोर ठिकाना


Art Work by : Andrea Ng

Monday, 28 January 2019

की ज़िंदगी अब दाव पे है,

दूसरों में ढूंढती फिरती हो,
जाने छाओ क्यों,

खो गयी हो इस भीड़ मे,
उलझे सवाल सी क्यों,

की ज़िंदगी अब दाव पे है,
खुद के सपने जो जिए तो उधर भी क्यों!! 

तेरे जाने से,

रुक गयी है दिन रात वही,
एक दर्द रह गया है तेरे जाने से,
यु तो कुछ था नहीं दरम्यान,
पर सब कुछ साथ गया तेरे जाने से!!



दोस्त पुराने ( Old Friends)


दूर जायेंगे जब ये दोस्त पुराने,
रूठ जायेंगे जब रिश्ते और जमाने सारे,
तब याद आएंगे बस अपने ही साये,
खुद के साथ ही तय करने है ये सफ़र सारे!!


Image courtesy : Painting by Igor Shulman

Saturday, 26 January 2019

खुद से ही हारने की ज़िद्द है,

खुद से ही जीत,
खुद से ही हारने की ज़िद्द है,
मुझे ज़माने से नहीं,
खुद से रूबरू की ज़िद्द है!



Image courtesy : Anna Sophia. 

Saturday, 19 January 2019

इंतज़ार


ज़िन्दगी यु तो कुछ न थी,
पर हर वक़्त इतराते गुज़री
किसी से क्या कहते,
ये खुद से ही दूर जाते गुज़री,
दिन गुज़रे खाली खाली,
शामें किसी खवाब में गुज़री,
रातें शुभो की तमन्ना में,
आने वाले वक़्त की नज़ाकत से गुज़री,
जिस के मुक़दर में हो खुशियां सारी,
उसे उधार देते गुज़री,
तन्हाई के आलम मे,
कुछ हक़ीक़त सुनते सुनाते गुज़री,
खुद के इंतज़ार में,
किसी और को ही बुलाते गुज़री!!

जो तुम देख नहीं पाते हो,


जो तुम देख नहीं पाते हो,
मेरी रोई रोई आँखों को,
जान नहीं पाते हो,
मेरी न सोयी रातों को,
थक हार के जो टूट जाती हु,
कभी खुद का रास्ता भी रोक जाती हु,
मै जानती हु,
मुझे लौट के अपने पास ही वापिस आना है!!

Image courtesy : Argentinian born photographer Romina Ressia.