Sunday, 3 February 2019
Monday, 28 January 2019
की ज़िंदगी अब दाव पे है,
दूसरों में ढूंढती फिरती हो,
जाने छाओ क्यों,
खो गयी हो इस भीड़ मे,
उलझे सवाल सी क्यों,
की ज़िंदगी अब दाव पे है,
खुद के सपने जो जिए तो उधर भी क्यों!!
जाने छाओ क्यों,
खो गयी हो इस भीड़ मे,
उलझे सवाल सी क्यों,
की ज़िंदगी अब दाव पे है,
खुद के सपने जो जिए तो उधर भी क्यों!!
Saturday, 26 January 2019
Saturday, 19 January 2019
इंतज़ार
ज़िन्दगी यु तो कुछ न थी,
पर हर वक़्त इतराते गुज़री
किसी से क्या कहते,
ये खुद से ही दूर जाते गुज़री,
दिन गुज़रे खाली खाली,
शामें किसी खवाब में गुज़री,
रातें शुभो की तमन्ना में,
आने वाले वक़्त की नज़ाकत से गुज़री,
जिस के मुक़दर में हो खुशियां सारी,
उसे उधार देते गुज़री,
तन्हाई के आलम मे,
कुछ हक़ीक़त सुनते सुनाते गुज़री,
खुद के इंतज़ार में,
किसी और को ही बुलाते गुज़री!!
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