Tuesday, 5 February 2019

जैसी थी वैसी रही माँ,


तू नहीं दिखती तो घर सूना सूना लगता है,
बचपन मे स्कूल जाते हुए,
गेट पर छोड़ने आती माँ,
सुबह गली के कोने तक,
साथ साथ चलती माँ,
स्कूल आने के वक़्त,
घर की चोखट पे इंतज़ार करती मिलती माँ,
फिर बड़े हुए,
फिर संग साथ बदले,
जैसी थी वैसी रही माँ,
कुछ और बड़े हुए,
घर बदले,
दहलीज़ बदली,
कुछ विचार बदले,
कुछ किस्से कहानियां बदली,
कुछ राहे बदली,
कुछ रास्ते बदले,
कुछ रिश्ते बदले,



कुछ निशानियां बदली,
ऑफिस के लोग बदले,
बॉस बदले,
पडोसी बदले,
यार बदले,
नेता बदले,
भाई का प्यार बदला,
बहिन का दुलार बदला,
पापा की डाट का अंदाज भी बदला,
पर जैसी थी वैसी रही माँ,
घर की चोखट पे बेसब्री से इंतज़ार करती,
कभी खाने को ये बनाती,
कभी खाने को वो बनाती,
चेहरे पे वही लाली है,
मेरी माँ अभी भी उतनी ही प्यारी है,
बालों पे कुछ सफ़ेदी है,
पर वो अभी भी उतनी ही हसीन है,
जैसी थी वैसी रही माँ,
डाट के खुद ही रो देती है,
लेट घर आओ और किसी दिन,
 फ़ोन करना भी भूल जाओ,
तब गुस्से मैं भी बस रो देती है,
जैसी थी अब भी वैसी ही है अम्मा,
मन में अथाह प्यार लिए,
हर बात पे माफ़ कर देती,
जैसी थी अब भी वैसी ही है अम्मा,

Painting by : Evita art works ( www.etsy.com)

Sunday, 3 February 2019

अपने घर में ही भटके बैठे है,



अपने घर में ही भटके बैठे है,
जाने कहां है अब ठोर ठिकाना


Art Work by : Andrea Ng

Monday, 28 January 2019

की ज़िंदगी अब दाव पे है,

दूसरों में ढूंढती फिरती हो,
जाने छाओ क्यों,

खो गयी हो इस भीड़ मे,
उलझे सवाल सी क्यों,

की ज़िंदगी अब दाव पे है,
खुद के सपने जो जिए तो उधर भी क्यों!! 

तेरे जाने से,

रुक गयी है दिन रात वही,
एक दर्द रह गया है तेरे जाने से,
यु तो कुछ था नहीं दरम्यान,
पर सब कुछ साथ गया तेरे जाने से!!



दोस्त पुराने ( Old Friends)


दूर जायेंगे जब ये दोस्त पुराने,
रूठ जायेंगे जब रिश्ते और जमाने सारे,
तब याद आएंगे बस अपने ही साये,
खुद के साथ ही तय करने है ये सफ़र सारे!!


Image courtesy : Painting by Igor Shulman

Saturday, 26 January 2019

खुद से ही हारने की ज़िद्द है,

खुद से ही जीत,
खुद से ही हारने की ज़िद्द है,
मुझे ज़माने से नहीं,
खुद से रूबरू की ज़िद्द है!



Image courtesy : Anna Sophia. 

Saturday, 19 January 2019

इंतज़ार


ज़िन्दगी यु तो कुछ न थी,
पर हर वक़्त इतराते गुज़री
किसी से क्या कहते,
ये खुद से ही दूर जाते गुज़री,
दिन गुज़रे खाली खाली,
शामें किसी खवाब में गुज़री,
रातें शुभो की तमन्ना में,
आने वाले वक़्त की नज़ाकत से गुज़री,
जिस के मुक़दर में हो खुशियां सारी,
उसे उधार देते गुज़री,
तन्हाई के आलम मे,
कुछ हक़ीक़त सुनते सुनाते गुज़री,
खुद के इंतज़ार में,
किसी और को ही बुलाते गुज़री!!