Saturday, 13 May 2017

Yes! It is Semi-patriarchy!!

नतमस्तक है उन औरतों को जिन्होंने कच्ची उम्र में शादी की फिर तीन चार बच्चे पैदा किए और कुछ ने तो जब तक किए जब तक लड़का नहीं हो गया। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से जो बच्चों को पढ़ा नहीं पाई कुछ तो जितना बच्चों की पढ़ाई पर उतना खर्च नहीं कर पाई उतना उनकी शादियों में खर्च किया। इन सबके बावजूद शादी में उन सबका अटूट विश्वास बना रहा और कभी शादी को लेकर कोई नकारात्मक विचार उनके दिमाग में नहीं आया।

बशर्ते कभी कभार स्वतंत्र अविवाहित लड़कियों को देख कर ही एक या 2 मिनट के लिए उन्होंने सोच लिया कि काश हम भी पढ़ते और कुछ कर गुजरते पर फिर भी अपनी शादी में अटूट विश्वास की जड़े उन्होंने कायम रखी और इन सबके बावजूद ना सिर्फ अपनी बल्कि दूसरे की लड़कियों और लड़कों की शादी करवाने का ठेका उन्होंने लिया हर सप्ताह फोन करके खबर लेती रही की बात बनी या नहीं। शाम को गली में टहलते हुए लड़की कि ऊपर से नीचे तक नुमाइश करके उनके स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करते हुए उनकी शादी का ख्याल फिर से उनके घर वालों के दिमाग में डाला। उन्होंने ससुराल वालों की तरफ से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना सहन करने के बावजूद शादी में अपना अटूट विश्वास बनाए रखा। और बार बार लड़की और उसके घर वालों को लड़की की उम्र का हिसाब किताब अच्छे से बताती रही उन सब औरतों को शत शत नमन ।

कोई बतलाए जरा क्या खूबसूरत बला है
जहां ना naam अपना है
ना घर अपना
ना अपनी जिंदगी के फैसले
घुंघट में बंद जिंदगी अक्सर दूसरों की घुटन के ख्वाब देखती है
कोई बताए जरा यह क्या खूबसूरत बला है
जहां भूल गई है अस्तित्व अपना!!

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