Tuesday, 30 January 2018

Partyasi KO KOI BHI CHALEGI

प्रत्याशी को कोई भी चलेगी, अब प्रत्याशी के अकेले रहने की हद पार हो चुकी है। उसे कांड करने के लिए अब कोई ब चाहिए सब चलेंगी, गौरी, काली, छोटी, मोटी, सयानी, पागल, बस अब चाहिए चाहे कोई भी कैसो भी हो अब बस दे दो प्रत्याशी से काबू नही हो पा रहा है ।



शादी के बाद सीधा कांड। और क्या कांड होता है दो दिन में तो। एक दिन शादी! दूसरे दिन दूध का गिलास! तीसरे दिन फूलों के पीछे रासलीला और एक हफ्ते बाद उल्टी। फिर लगातार कांड पे कांड औरत की ऐसी-तैसी, रोज़ डॉक्टर के पास हर रोज़ डॉक्टर के पास। लड़की, लड़की से औरत हो जाती है लेकिन प्रत्याशी कांड करना नही छोड़ता ।


घूंघट में लिपटी प्रत्याशी की पत्नी अपना नारी धर्म निभाते हुए खूब योगदान करती है। फिर बच्चे पे बच्चा , बंदे की 27-28 साल की भड़ास एक औरत पे निकलती है कानूनी अधिकार जो मिल गया होता है। उसके बाद न समझने की ज़रूरत होती है ना समझाने की बस एक ही काम करना है। जानने समझने को तो पूरी उम्र पड़ी होती है। और फिर बच्चे पैदा होने के बाद कौन जानना समझना चाहता है


बच्चो के बाद अपनी पत्नी out of date लगनी शुरू हो जाती है। बीच बीच में खानदानी ठेकेदार अक्सर पूछ बैठते हैं - कुछ हुआ ? कुछ हुआ नही तो कब होगा ? अगर सीधा बोले तो इनको पूछना होता है शारीरिक संबंध बने के नही।

अगर नही बने तो कब बनाओगे, हमे ज़रूर बताना इतने खानदानी लोग हैं इसी लिए इस बात को इतने संस्कारी ढंग से पूछते हैं.

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