Poems by Mamta Sharma
Tuesday, 13 November 2018
ट्रैन के पीछे भागती बाबा की छोटी सी गुड़िया,
अब शहर छोड़ के जब भी जाती है,
बाबा की बड़ी सी गुड़िया,
सब यादें और बचपन स्टेशन पर ही छोड़ जाती है,
बाबा की छोटी सी गुड़िया,
नए शहर के स्टेशन पर,
छोटे से मुन्ने की,
बन जाती है समझदार सी मम्मा||
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