Saturday, 29 December 2018

मेरी माँ ( My Mother)

माँ से लिपट के रो लूँ इतना कभी,
उस को रुलाया है जितना मैंने कभी,
यु तो कभी कोई शिकवा नही मुझे उन से,
जी भर के दिया है जो भी माँगा उन से कभी,
बाबा की मार से,
बाबा की डाट फटकार से,
चुपके से खुद में छुपाया मुझे कही,
अब जिंदगी दौड जो रही है,
पीछे छूट गयी है मेरी माँ कही,
बच्चो ने बसा ली है अपनी अपनी दुनिया नयी,
मेरी भोली मासूम सी अम्मा,
छूट गयी है इस बड़े से घर मे अकेली कही,
लो फिर से थाम लूँ उनका हाथ वही,
चलना जो सीखा था उन के हाथ सही,
चलो फिर से ढूँढ लूँ,
मेरी माँ में खो गयी है जो लड़की कही,
पुरानी फोटोज में,
हस्ती खेलती लड़की की सूरत है,
वही मेरी माँ की असली सूरत है,
उन की नज़र भी तो उतारु कभी,
लेती रहती है हर वक़्त जो बलाये मेरी!! (M.S).

Image courtesty : Catherine Rose 

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