तू नहीं दिखती तो घर सूना सूना लगता है,
बचपन मे स्कूल जाते हुए,
गेट पर छोड़ने आती माँ,
सुबह गली के कोने तक,
साथ साथ चलती माँ,
स्कूल आने के वक़्त,
घर की चोखट पे इंतज़ार करती मिलती माँ,
फिर बड़े हुए,
फिर संग साथ बदले,
जैसी थी वैसी रही माँ,
कुछ और बड़े हुए,
घर बदले,
दहलीज़ बदली,
कुछ विचार बदले,
कुछ किस्से कहानियां बदली,
कुछ राहे बदली,
कुछ रास्ते बदले,
कुछ रिश्ते बदले,
कुछ निशानियां बदली,
ऑफिस के लोग बदले,
बॉस बदले,
पडोसी बदले,
यार बदले,
नेता बदले,
भाई का प्यार बदला,
बहिन का दुलार बदला,
पापा की डाट का अंदाज भी बदला,
पर जैसी थी वैसी रही माँ,
घर की चोखट पे बेसब्री से इंतज़ार करती,
कभी खाने को ये बनाती,
कभी खाने को वो बनाती,
चेहरे पे वही लाली है,
मेरी माँ अभी भी उतनी ही प्यारी है,
बालों पे कुछ सफ़ेदी है,
पर वो अभी भी उतनी ही हसीन है,
जैसी थी वैसी रही माँ,
डाट के खुद ही रो देती है,
लेट घर आओ और किसी दिन,
फ़ोन करना भी भूल जाओ,
तब गुस्से मैं भी बस रो देती है,
जैसी थी अब भी वैसी ही है अम्मा,
मन में अथाह प्यार लिए,
हर बात पे माफ़ कर देती,
जैसी थी अब भी वैसी ही है अम्मा,
Painting by : Evita art works ( www.etsy.com)
Nice..
ReplyDeleteThanks.
Deleteare rulaaye gi kya pagli😥
ReplyDeleteRona aaye to ro lo. Thanks.
DeleteWell done yaar
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