समझो न तुम सवाल मेरा,
समझो न तुम जवाब मेरा,
न चुप्पी समझो,
न समझो तुम शब्द मेरा,
फिर सवाल ही क्या है हमारा -हमारा,
रखो जो भी है तेरा,
मैं रख लूँ जो है मेरा ,
ये इंसानो से दीवारो सी बात,
ये इंसानों की सब से सस्ती औकात,
इस चुप्पी में अक्सर जताना भुल जाती हूँ,
है कौन क्या ये अक्सर बताना भुल जाती हूँ,
अब रिश्ते खोने से मलाल नहीं होता,
कुछ शिकन है मेरे माथे पे,
जिस ने दिल दुखाया है,
उन इंसानों का चेहरा रूह से साफ़ नहीं होता!!
-Poetry by Mamta-
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