जब इंसान शीशे सा टूटता है,
चाहने वालो को भी बड़ा मामूली सा लगता है,
ये मिट्टी के पुतले ये बुत ,
ये सब इंसान है,
औकात से थोड़ा ज्यादा मिलेगा,
तो खुद की औकात भी बताएंगे,
अभी जो थोड़ा बहुत इधर उधर बिखरे हो,
ये तेरा ही वजूद मिटा के,
तुझे ही दोषी बताएंगे||
Image Courtesy : Painting by Piotr Figiel from Poland.