ज़िन्दगी यु तो कुछ न थी,
पर हर वक़्त इतराते गुज़री
किसी से क्या कहते,
ये खुद से ही दूर जाते गुज़री,
दिन गुज़रे खाली खाली,
शामें किसी खवाब में गुज़री,
रातें शुभो की तमन्ना में,
आने वाले वक़्त की नज़ाकत से गुज़री,
जिस के मुक़दर में हो खुशियां सारी,
उसे उधार देते गुज़री,
तन्हाई के आलम मे,
कुछ हक़ीक़त सुनते सुनाते गुज़री,
खुद के इंतज़ार में,
किसी और को ही बुलाते गुज़री!!