Tuesday, 9 June 2020
Ye Mudda-E-Behas Kya hai
Jidhar dekhu udhar ye hawa kya hai,
Ye pyar,
Ye muhabbat,
Ye jaan,
Ye ulfat,
Ye masla,
Ye behas kya hai.
Ye pyar,
Ye muhabbat,
Ye jaan,
Ye ulfat,
Ye masla,
Ye behas kya hai.
कोई अपना एक जहां हो,
गुड्डा गुड्डी का खेल तो कभी खेला नहीं,
पर मेरा भी एक सपना था,
कोई होगा जो मुझे आसमान पे रखेगा,
चाँद की कभी खाव्हिश ना थी,
सितारों को पाने की भी मेरी कोई चाह ना थी,
बस छोटा सा एक ख्वाब था,
ज़मीं पे दूर कही,
कोई अपना एक जहां हो,
मांगू न कुछ उस से,
बस मेरे लिए थोड़ा वक़्त उस के पास,
बस वही मेरे लिए बेहिसाब हो,
पर तुम क्या मुझे आँखों पे सजा के रखोगे,
खफा कर देते हो जो मुझे बात-बात पे,
भूल जाते हो हाल चाल पूछना जो शाम में,
देती हूँ हर बात पे जो तवज्जो तुमको,
और भुल जाती हूँ,
तुझ में रख के कहीं खुद को,
मासूमियत से जो हर बार,
बेवजह सॉरी बोल देती हूँ,
खुद का ही दिल दुखाने पर,
फिर छुप के रो देती हूँ
तुम देख नहीं पाते हो,
मेरी रोई इन आँखों को,
जान नहीं पाते हो,
न सोई मेरी रातों को,
तेरे संग होने को,
जब सब से लड़ जाती हूँ,
अच्छी खासी जिंदगी में,
खुद भूचाल मै ले आती हूँ,
तुम यूँ ही बिन सोचे शायद,
कुछ भी कह देते हो,
क्या बतलाऊ मै,
किस दौर से अकेले अकेले गुज़रती हूँ,
खुद के टूटे टुकड़ों को,
खुद उलझी ज़ज़्बातो को,
एक एक सुलझाकर मै,
फिर खुद को समेट लाती हूँ,
खुद से हार कर,
खुद ही जीत जाती हूँ,
नयी सुबह में,
फिर नयी कहानी बतलाती हूं,
कैसे रात के निपट अँधेरे में,
जी भर के रो जाती हूँ,
कैसे बतलाऊ मैं तुम को,
मैं क्या से क्या हर इंसान में देख जाती हूँ!!
पर मेरा भी एक सपना था,
कोई होगा जो मुझे आसमान पे रखेगा,
चाँद की कभी खाव्हिश ना थी,
सितारों को पाने की भी मेरी कोई चाह ना थी,
बस छोटा सा एक ख्वाब था,
ज़मीं पे दूर कही,
कोई अपना एक जहां हो,
मांगू न कुछ उस से,
बस मेरे लिए थोड़ा वक़्त उस के पास,
बस वही मेरे लिए बेहिसाब हो,
पर तुम क्या मुझे आँखों पे सजा के रखोगे,
खफा कर देते हो जो मुझे बात-बात पे,
भूल जाते हो हाल चाल पूछना जो शाम में,
देती हूँ हर बात पे जो तवज्जो तुमको,
और भुल जाती हूँ,
तुझ में रख के कहीं खुद को,
मासूमियत से जो हर बार,
बेवजह सॉरी बोल देती हूँ,
खुद का ही दिल दुखाने पर,
फिर छुप के रो देती हूँ
तुम देख नहीं पाते हो,
मेरी रोई इन आँखों को,
जान नहीं पाते हो,
न सोई मेरी रातों को,
तेरे संग होने को,
जब सब से लड़ जाती हूँ,
अच्छी खासी जिंदगी में,
खुद भूचाल मै ले आती हूँ,
तुम यूँ ही बिन सोचे शायद,
कुछ भी कह देते हो,
क्या बतलाऊ मै,
किस दौर से अकेले अकेले गुज़रती हूँ,
खुद के टूटे टुकड़ों को,
खुद उलझी ज़ज़्बातो को,
एक एक सुलझाकर मै,
फिर खुद को समेट लाती हूँ,
खुद से हार कर,
खुद ही जीत जाती हूँ,
नयी सुबह में,
फिर नयी कहानी बतलाती हूं,
कैसे रात के निपट अँधेरे में,
जी भर के रो जाती हूँ,
कैसे बतलाऊ मैं तुम को,
मैं क्या से क्या हर इंसान में देख जाती हूँ!!
न चुप्पी समझो, न समझो तुम शब्द मेरा,
समझो न तुम सवाल मेरा,
समझो न तुम जवाब मेरा,
न चुप्पी समझो,
न समझो तुम शब्द मेरा,
फिर सवाल ही क्या है हमारा -हमारा,
रखो जो भी है तेरा,
मैं रख लूँ जो है मेरा ,
ये इंसानो से दीवारो सी बात,
ये इंसानों की सब से सस्ती औकात,
इस चुप्पी में अक्सर जताना भुल जाती हूँ,
है कौन क्या ये अक्सर बताना भुल जाती हूँ,
अब रिश्ते खोने से मलाल नहीं होता,
कुछ शिकन है मेरे माथे पे,
जिस ने दिल दुखाया है,
उन इंसानों का चेहरा रूह से साफ़ नहीं होता!!
-Poetry by Mamta-
समझो न तुम जवाब मेरा,
न चुप्पी समझो,
न समझो तुम शब्द मेरा,
फिर सवाल ही क्या है हमारा -हमारा,
रखो जो भी है तेरा,
मैं रख लूँ जो है मेरा ,
ये इंसानो से दीवारो सी बात,
ये इंसानों की सब से सस्ती औकात,
इस चुप्पी में अक्सर जताना भुल जाती हूँ,
है कौन क्या ये अक्सर बताना भुल जाती हूँ,
अब रिश्ते खोने से मलाल नहीं होता,
कुछ शिकन है मेरे माथे पे,
जिस ने दिल दुखाया है,
उन इंसानों का चेहरा रूह से साफ़ नहीं होता!!
-Poetry by Mamta-
जो औरते कुछ नी करती
जो औरते कुछ नी करती वो दूसरे की life का जीना हराम करती है| ताक झांक करती है| इसकी उम्र-उसकी उम्र,इस का चक्कर-उस का चक्कर, इस का लड़का-उस की लड़की,
इस का ब्याह-उस का ब्याह, और ये औरतें इस बात का ज्ञान भी रखती है की फलां की बाथरूम मे bucket किस colour की है|
ये औरते ठीक वैसी ही है जैसे आदमी, वो आदमी जो life मै कुछ नई करते| वो आदमी जो ताश-पत्ते, जुआ, सट्टा, शराब पी के अपना खाली वक़्त बर्बाद और दुसरो की ज़िन्दगी मे ज़हर घोल आते है| ये औरते ठीक आदमियों की तरह है, जो किसी के भी घर मुंह उठा के अपनी खोपड़ी का कचरा दूसरे के दिमाग में उड़ेल आते है|
ज्ञान संत महात्मा और वेद पुराण पढ़े लोगो से लिया जाता है| जो खुद अपनी लाइफ मे असंतुष्ट है उन से ज्ञान किस को चाहिए| अपनी life जीने लायक बना लो फिर दुसरो को ज्ञान देना| Feminism or patriarchy के नाम पे अपने दिमाग का कूड़ा करकट दूसरे की खोपड़ी मे ना डाले| जो हरकते करते हो उन पे इतनी शर्म आती है , तो अपनी हरकते सुधारो| Post पढ़ के message में फालतू का ज्ञान न दे|
-Random thoughts Mamta-
इस का ब्याह-उस का ब्याह, और ये औरतें इस बात का ज्ञान भी रखती है की फलां की बाथरूम मे bucket किस colour की है|
ये औरते ठीक वैसी ही है जैसे आदमी, वो आदमी जो life मै कुछ नई करते| वो आदमी जो ताश-पत्ते, जुआ, सट्टा, शराब पी के अपना खाली वक़्त बर्बाद और दुसरो की ज़िन्दगी मे ज़हर घोल आते है| ये औरते ठीक आदमियों की तरह है, जो किसी के भी घर मुंह उठा के अपनी खोपड़ी का कचरा दूसरे के दिमाग में उड़ेल आते है|
ज्ञान संत महात्मा और वेद पुराण पढ़े लोगो से लिया जाता है| जो खुद अपनी लाइफ मे असंतुष्ट है उन से ज्ञान किस को चाहिए| अपनी life जीने लायक बना लो फिर दुसरो को ज्ञान देना| Feminism or patriarchy के नाम पे अपने दिमाग का कूड़ा करकट दूसरे की खोपड़ी मे ना डाले| जो हरकते करते हो उन पे इतनी शर्म आती है , तो अपनी हरकते सुधारो| Post पढ़ के message में फालतू का ज्ञान न दे|
-Random thoughts Mamta-
Mujhe fir se itna kabil bana
Mujhe fir se itna kabil bana,
Rakhu kadam jaha us jagah ko zannat bana,
Bhatkti rehti hu tere dar par raat-din,
Ho mere naam ki jo raah,
Hai yu to sehro mai sehar bahut,
Jaana jaaye jo sehar mere naam se,
Mujhe itni kabiliyat ke kabil bana!!
Rakhu kadam jaha us jagah ko zannat bana,
Bhatkti rehti hu tere dar par raat-din,
Ho mere naam ki jo raah,
Us raah ka mujhe pata bata,
Hai yu to sehro mai sehar bahut,
Jaana jaaye jo sehar mere naam se,
Mujhe itni kabiliyat ke kabil bana!!
Rahe bas tera saath jaha, Ab wahi meri raah guzar kar,
Mujh pe bas itna karam kar,
Mai chahu jo use mera naseeb kar,
Khat-khataye hai darwaaze sab ke,
Thode se sukun ki khatir,
Rahe bas tera saath jaha,
Ab wahi meri raah guzar kar,
Mai chahu jo use mera naseeb kar,
Khat-khataye hai darwaaze sab ke,
Thode se sukun ki khatir,
Rahe bas tera saath jaha,
Ab wahi meri raah guzar kar,
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