Friday, 14 June 2019

माँ का आँचल हर धुप में याद आया!!

अंधेरो ने जब -जब मुझ को सताया,
मेरी माँ का दामन मुझे याद आया,

घूम आया हर गली हर कूचा,
मुझे मेरी माँ का आँचल हर धुप में याद आया!!
Painting by Vishal Sharma 

Thursday, 23 May 2019

खुद की कितनी तोहीन की है,


आंसुओ की बारिश में,
बरसो भीग के समझ आया,
खुद की कितनी तोहीन की है,
समझा के दीवारों को,
खुद की हैसियत कम की है!!

समंदर के दरिया से पानी उधर ले गया है,


था अजीब सा ख़्वाब जो नींदें उड़ा ले गया है,
समंदर के दरिया से पानी उधर ले गया है,
 हुआ है यु भी,
छोटी छोटी आरज़ू पे जान ले गया है!! .

Wednesday, 22 May 2019

आसमानो का ख्वाब फिर किसलिए,

जमीने जो सम्भाली ना गयी,
आसमानो का ख्वाब फिर किसलिए,

और रातें जो है अमावास सी,
चाँद की चांदनी फिर किसलिए,

दरवाजे के उस पार बेफ़िक्री बहुत है,
मेरी ये फ़िक्र फिर किसलिए,

गरूर इतना कि इंसान दीखते नहीं,
है ये झूठी इंसानियत फिर किसलिए!!

की है जो बग़ावते तेरे लिए ज़िंदगी,



ये अंदाजे गुफ्तगू क्या है,
की है जो बग़ावते तेरे लिए ज़िंदगी,
ये अंदाज़े सलीक़ा क्या है!!

है बीमारिया बहुत आजकल हम में,



है बीमारिया बहुत आजकल हम में,
जाने कोई मरीज है की वक़्त ये उल्फ़त है,

तू कोई हवा है कि कहर है,

हम तो यु ही पूछ बैठे है,
तू कोई हवा है कि कहर है,