Thursday, 22 August 2019

जानू ना छुट गया है क्या, जानू ना है साथ क्या,




झूठ क्या है सच क्या,
जानू ना है ये बवाल क्या,
कभी दुआ मांगू जो मुकम्मल हो,
कभी साथ माँगू जो नसीब हो,
कभी बेफिक्री मे फ़िक्र करू,
कभी बेखयाली मे ज़िक्र करू,
जानू ना है हाल क्या,
जानू ना है सवाल क्या,
रास्ता जो देखूं राह निहारु,
राह जो देखो फिर से रास्ता निहारु,
जानू ना छुट गया है क्या,
जानू ना है साथ क्या,
है हाल ये बेहाल सा,
है सवाल ये बेजवाब सा!!
दुनिया पे जो बंदिशो का दाग है,
मेरी हर आरज़ू सब से बेदाग़ है,
घोल दू भी,
थोड़ी दुनियादारी अब मेरे ज़ज़्बातो मै,
जीने का ये भी सलीका सीख,
रिश्तो मै थोड़ी बेईमानी तू भी सिख,
झूठ क्या है सच क्या,
जानू ना है ये बवाल क्या!


~ Poetry by Mamta ~

देख मै क्या से क्या हो गया हूँ,



तूने समझा था मैं रो दूंगा,
तुझे खो के,
मैं कुछ और भी कुछ खो दूंगा,
देख मै क्या से क्या हो गया हूँ,
तेरे जाने क बाद कितना आबाद हो गया हूँ,
तूने शायद सोचा था,
तेरा हाथ जो छूटेगा तो बेरंग हो जायगा,
पर तू देख तेरे जाने के बाद,
कितने रंगों मे रंगीन हो गया हूँ,
गुमनाम शामे भी अब गुमनाम नहीं लगती,
तेरे जाने के बाद अब कमी मे भी कोई कमी नहीं लगती,
तेरे जाने से खुद मे खुद का आना हुआ है,
तुझे खोने पे खुद को पाना हुआ है!!

~ Poetry by Mamta ~

Friday, 14 June 2019

माँ का आँचल हर धुप में याद आया!!

अंधेरो ने जब -जब मुझ को सताया,
मेरी माँ का दामन मुझे याद आया,

घूम आया हर गली हर कूचा,
मुझे मेरी माँ का आँचल हर धुप में याद आया!!
Painting by Vishal Sharma 

Thursday, 23 May 2019

खुद की कितनी तोहीन की है,


आंसुओ की बारिश में,
बरसो भीग के समझ आया,
खुद की कितनी तोहीन की है,
समझा के दीवारों को,
खुद की हैसियत कम की है!!